केयर्न इंडिया के वेदांता में मर्जर को मंजूरी मिल गई है। दोनों कंपनियों की बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव को पास कर दिया है। इस मर्जर से वेदांता ग्रुप के बड़े कर्ज को घटाने में मदद मिलेगी। वेदांता ग्रुप पर करीब 70,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। वहीं, केयर्न इंडिया के पास 16.5 हजार करोड़ रुपए की नकदी है। मार्केट एक्सपर्ट और विदेशी ब्रोकरेज हाउस मानते हैं कि यह मर्जर वेदांता के हक में है। ऐसे में सोमवार के सत्र में वेदांता के शेयर में बड़ी तेजी देखने को मिल सकती हैं। वेदांता ने 2011 में करीब 8.45 सौ करोड़ डॉलर में केयर्न इंडिया में बड़ी हिस्सेदारी खरीदी थी। फिलहाल कई सब्सिडियरी के जरिए केयर्न इंडिया में वेदांता की हिस्सेदारी 60 फीसदी के आसपास है।
केयर्न इंडिया का वेदांता में होगा मर्जर
रविवार को केयर्न इंडिया और वेदांता ग्रुप की अहम बैठक में दोनों कंपनियों के मर्जर को मंजूरी मिल गई है। केयर्न इंडिया के शेयरधारकोंं को एक शेयर पर एक शेयर मिलेगा। यह मर्जर मौजूदा वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक पूरा हो सकता है। साथ ही 10 रुपए की फेस वेल्यु का प्रेफरेंस शेयर भी मिलेगा। इस प्रेफरेंशियल शेयर को 18 महीने के बाद रीडीम किया जा सकेगा।
मर्जर की जरूरत क्यों पड़ी
बोर्ड के मुताबिक इस मर्जर के पीछे कई कारण हैं। पहला, तो सभी कमोडिटी कारोबार एक ही कंपनी के अधीन आ जाएगा। दूसरा, वेदांता ग्रुप पर 70,000 करोड़ रुपए का बड़ा कर्ज है। इस विलय के बाद कंपनी पर करीब 17,000 करोड़ रुपए के कर्ज को चुकाने में मदद मिलेगी। कंपनी का डेट-इक्विटी रेशियो फिलहाल 1.7 है। मर्जर बाद यह घटकर 0.8 हो जाएगा। दोनों कंपनियों के मर्जर के बाद ग्रुप की मार्केट कैप 66,906 करोड़ रुपए हो जाएगी। वहीं, ग्रुप का कर्ज 61,680 करोड़ रुपए से घटकर 41,178 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है।
मर्जर से किसको फायदा
इस विलय पर ज्यादातर एक्सपर्ट मानते हैं कि मर्जर के बाद वेदांता लिमिटेड को सबसे ज्यादा फायदा होगा। वेदांता के कर्ज को चुकाने में मदद मिलेगी। इससे छोटी अवधि में कंपनी के शेयर पर असर देखने को मिलेगा। शेयर में बड़ी तेजी की उम्मीद है।
मर्जर पर कंपनियों की प्रतिक्रिया
रविवार को हुए इस मेगा मर्जर पर केयर्न इंडिया के सीईओ ने कहा कि इस मर्जर के बाद शेयरधारकों को फायदा होगा। साथ ही कंपनी का राजस्थान ब्लॉक कोर एसेट ही रहेगा। वहीं, वेदांता की सीईओ के मुताबिक ट्रांजेक्शन में टीयर1 एसेट्स शामिल होंगे। इसके अलावा कंपनी के शेयरधारकोंं को ऊंचे रिटर्न मिलने की उम्मीद है।
क्या है बड़ी चुनौती
इस विलय के सामने सबसे बड़ी चुनौती, केयर्न के शेयरधारकोंं की मंजूरी मिलना है। कंपनी में एलआईसी और केयर्न यूके होल्डिंग्स की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। एलआईसी का केयर्न इंडिया में करीब 9.06 फीसदी हिस्सा है। वहीं, केयर्न यूके होल्डिंग्स का 9.82 फीसदी हिस्सा है। मार्केट एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर शेयरधारकोंं से मंजूरी नहीं मिलती है, तो यह मर्जर अधर में लटक सकता है।
शेयरधारकोंं को क्या मिला
मार्केट एक्सपर्ट कहते हैं कि इस मर्जर के बाद केयर्न इंडिया के शेयरधारकोंं को बड़ा नुकसान है, क्योंकि इससे कंपनी के कैपेक्स पर नकारात्मक असर होगा। वहीं, वेदांता लिमिटेड के शेयरधारकों को बड़ा फायदा होगा।
क्या करें निवेशक
विदेशी ब्रोकरेज हाउस मै-क्यूरी ने वेदांता लिमिटेड के शेयर पर 276 रुपए का लक्ष्य तय किया है। ब्रोकरेज के मुताबिक, विलय पर अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है। लेकिन लंबी अवधि में शेयर बड़ा रिटर्न देगा।
source bhasker
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